Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jan 2024 · 2 min read

माँ का अबोला / मुसाफ़िर बैठा

याद नहीं कि माँ ने
कभी अबोला किया हो मुझसे
मुझसे भी यह न हुआ कभी

बस एक अबोला माँ ने किया
अपने जीवन की अंतिम घड़ी में
और फोन पर बतियाने से
साफ़ मना कर दिया था उन्होंने

गाँव पर थी माँ जब
जीवन की अंतिम सांसें गिनती हुईं
गया था पटना से बाल बच्चों समेत मिलने गाँव
हाँ मिलने मात्र
जबकि मुझ संतान से
सेवा शुश्रूषा पाने के
नितांत जरूरी दिन थे वे
लंबे समय से बिस्तर पकड़े माँ के

माँ से विदा लिया था
तो यह कहकर कि
बस लौटता हूँ
तुम्हारी दुलारी पोती को
दिल्ली छोड़कर दिन दो बाद ही

माँ ने मना नहीं किया
उस पोती के जीवन का सवाल था
जिसमें दादी के प्राण बसते थे
और पोती के दादी में
पर यह प्रतिदान पाने का अवसर न था!
माँ ने तो बस, देना ही जाना था
पोती को दी भरे गले सलाह
‘मेरा क्या, दिन दो दिन की मेहमान हूँ
दादी का मरा मुंह भी तुम
भरसक ही देख पाओगी
बेटी, रीत यही है दुनिया की
सुख में ही नहीं घने दुःख और विपत्तियों में भी
मनुष्य का आना जाना कहाँ रुकता!
जा रही हो और कलेजा फट रहा है मेरा’
देखा, आंसुओं की मोती-धार मोटी
माँ के दादी-गाल पर बह रही थी

‘मन लगा कर पढ़ना बउआ,
गाँव की पहली बेटी हो
जो इतनी दूर पढ़ने निकली हो
बेटी जात हो, जुआन, कांच-कुंवार हो तब भी
दिल्ली भेजा है पढ़ने तुम्हारे बाप ने
समूचे घर समाज से लड़ झगड़ कर
मेरा ही बस चलता तो क्या जाने देती!
कुछ भी ऐसा वैसा न करना
उम्मीदों पर बेटे के मेरे, सर-समाज के खरा उतरना’

जिस दिन बेटी दिल्ली जा रही थी
फोन आया घर से भैया का
माँ से बात कराना चाहा
पर माँ ने बात करने से मना किया
उन्हें मेरा उनके पास आने से
कुछ भी कम मंजूर नहीं था
मैंने एकतरफा ही माँ से संवाद किया था
कहा था माँ से
बस, आज ट्रेन पर चढ़ा तेरी लाडली को
कल सुबह घर के लिए
बस पकड़ता हूँ।

बेटी को सी-ऑफ करके ज्यों ही
पटना जंक्शन से डेरा लौटता हूँ
तो घर से फोन पर भैया होते हैं
कहते हैं – चल दी माँ

मैं माँ से किये अपने वादे
निभाने चल देता हूँ घर
घर जो पिता के मेरी अबोध-लरिकाई में ही चले जाने और अब माँ के जाने से
गांव भर रहा गया था

पहली बार हुआ था कि घर पहुंच कर
घर के दरवाजे पर लगी जमघट में मौजूद
किसी बड़े बुजुर्ग को न किया प्रणाम-पाती
न ही माँ के छुए पाँव और
न ही माँ थी सामने हुलस कर अपने जिगर के टुकड़े को
अधीर आतुर पाने को

माँ की छाती से लगकर
लाख रोता विलखता हूँ
माँ का हृदय नहीं पसीजता
पहली और अंतिम बार
इतना काठ-करेजा हो उठती हैं माँ
माँ कुछ नहीं बोलती
माँ का यह अबोला
जिन्दगी भर का साथ हो जाता है।
********

{बारह साल पहले आज के ही दिन (02 जनवरी, 2012 को) माँ का साथ सदा के लिए छूट गया था।}

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 186 Views
Books from Dr MusafiR BaithA
View all

You may also like these posts

जो कहना है खुल के कह दे....
जो कहना है खुल के कह दे....
Shubham Pandey (S P)
मम्मी की खीर
मम्मी की खीर
अरशद रसूल बदायूंनी
सूरत यह सारी
सूरत यह सारी
Dr fauzia Naseem shad
गुरु पूर्णिमा
गुरु पूर्णिमा
Ram Krishan Rastogi
धरा दिवाकर चंद्रमा
धरा दिवाकर चंद्रमा
RAMESH SHARMA
फिर वही शाम ए गम,
फिर वही शाम ए गम,
ओनिका सेतिया 'अनु '
जब आपका ध्यान अपने लक्ष्य से हट जाता है,तब नहीं चाहते हुए भी
जब आपका ध्यान अपने लक्ष्य से हट जाता है,तब नहीं चाहते हुए भी
Paras Nath Jha
हिंदुस्तान के लाल
हिंदुस्तान के लाल
Aman Kumar Holy
मानवता का सन्देश
मानवता का सन्देश
manorath maharaj
गुफ्तगू
गुफ्तगू
Karuna Bhalla
" जिन्दगी "
Dr. Kishan tandon kranti
"तुम हो पर्याय सदाचार के"
राकेश चौरसिया
*सत्तावन की लड़ी लड़ाई ,तुमने लक्ष्मीबाई*(गीतिका)
*सत्तावन की लड़ी लड़ाई ,तुमने लक्ष्मीबाई*(गीतिका)
Ravi Prakash
■ साल चुनावी, हाल तनावी।।
■ साल चुनावी, हाल तनावी।।
*प्रणय*
ऋतुराज
ऋतुराज
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
यादों के साये...
यादों के साये...
Manisha Wandhare
बेटियाँ पर कविता
बेटियाँ पर कविता
Swara Kumari arya
साथ अपनों का छूटता गया
साथ अपनों का छूटता गया
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
हम और तुम
हम और तुम
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
मंत्र: सिद्ध गंधर्व यक्षाधैसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात्
मंत्र: सिद्ध गंधर्व यक्षाधैसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात्
Harminder Kaur
देख के तुझे कितना सकून मुझे मिलता है
देख के तुझे कितना सकून मुझे मिलता है
Swami Ganganiya
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
*लाल सरहद* ( 13 of 25 )
*लाल सरहद* ( 13 of 25 )
Kshma Urmila
"प्रयास"
Rati Raj
यह कैसे रिश्ते ?
यह कैसे रिश्ते ?
Abasaheb Sarjerao Mhaske
4384.*पूर्णिका*
4384.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नकाब खुशी का
नकाब खुशी का
Namita Gupta
अगर प्यार तुम हमसे करोगे
अगर प्यार तुम हमसे करोगे
gurudeenverma198
साथी तेरे साथ
साथी तेरे साथ
Kanchan verma
Now awake not to sleep
Now awake not to sleep
Bindesh kumar jha
Loading...