Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Dec 2023 · 2 min read

पुरुष_विशेष

पुरुष_विशेष
एक महिला यदि संस्कारी हो, सुंदर हो, एक अच्छी योग्यता उन्होंने अर्जित कर ली हो, तो सामाजिक दृष्टिकोण से इतना काफ़ी होता है, यदि वह कोई बड़े मुकाम हासिल ना भी की हो तो समाज को इससे ज्यादा मतलब नहीं होता, समाज को केवल महिलाओं के चरित्र, विवाह और बच्चे जैसे मुद्दों से ही मतलब होता है, वो आर्थिक, सामाजिक रूप से कितनी समृद्ध है, इसे केवल अतिरिक्त योग्यता के रूप मे देखा जाता है,
जबकि एक पुरुष यदि संस्कारी, खूबसूरत और अच्छी योग्यता रखता हो तो सामाजिक रूप से उसके लिए इतना काफी नहीं होता, बल्कि उन्हें खुद को समाज के सामने साबित करना होता है, कि हम आर्थिक और सामाजिक रूप से कितने समृद्ध है..
यदि आप पुरुष है, तो आपको अपने कैरियर पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि एक महिला की तुलना में आपकी जवाबदेही और जिम्मेदारी ज्यादा है,
एक महिला किसी भी आर्थिक रूप से समृद्ध व सशक्त पुरुष से आसानी से विवाह कर सकती है, जबकि एक पुरुष को किसी महिला से विवाह करने से पूर्व ख़ुद को साबित करना पड़ता है, खुद को आर्थिक रूप से समृद्ध व सशक्त बनाना पड़ता है।
अपने जीवन के भटकाव से बचिए, क्योंकि जिस वजह से आप आज भटक रहें है, कहीं न कहीं वह आपके आर्थिक व सामाजिक समृद्धि में रुकावट बन रहा है, यदि आप आज भटक गए अपने लक्ष्य से तो कल आप ख़ुद को कोसेंगे, तनाव अवसाद की स्थिति में पहुंच जाएंगे, इसलिए समय रहते ख़ुद को भटकाव से मुक्त करके अपने ध्यान को अपने लक्ष्य की ओर केंद्रित कीजिए.
इस लेख का उद्देश्य किसी भी वर्ग के मध्य भेदभाव करना नहीं, बल्कि खुद के कैरियर के प्रति दृढ़-संकल्पित व ईमानदार बनाना है..

255 Views

You may also like these posts

प्रीतम दोहावली- 3
प्रीतम दोहावली- 3
आर.एस. 'प्रीतम'
* मुस्कुराते हुए *
* मुस्कुराते हुए *
surenderpal vaidya
एक तुम ही थे हमारे
एक तुम ही थे हमारे
दीपक झा रुद्रा
നല്ല നാളുകൾ.
നല്ല നാളുകൾ.
Heera S
#धवल_पक्ष
#धवल_पक्ष
*प्रणय*
सरसी छंद
सरसी छंद
seema sharma
इस ज़माने में, ऐसे भी लोग हमने देखे हैं।
इस ज़माने में, ऐसे भी लोग हमने देखे हैं।
श्याम सांवरा
पीछे तो उसके जमाना पड़ा था, गैरों सगों का तो कुनबा खड़ा था।
पीछे तो उसके जमाना पड़ा था, गैरों सगों का तो कुनबा खड़ा था।
Sanjay ' शून्य'
1222   1222   1222   1222
1222 1222 1222 1222
Johnny Ahmed 'क़ैस'
कितने आसान थे सम्झने में
कितने आसान थे सम्झने में
Dr fauzia Naseem shad
वीरमदे
वीरमदे
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
पाँच हाइकु
पाँच हाइकु
अरविन्द व्यास
प्रेम
प्रेम
Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी)
सावन का महीना
सावन का महीना
Dr. Vaishali Verma
बाढ़ की आपदा
बाढ़ की आपदा
अवध किशोर 'अवधू'
चित्र आधारित चौपाई रचना
चित्र आधारित चौपाई रचना
गुमनाम 'बाबा'
वफा माँगी थी
वफा माँगी थी
Swami Ganganiya
कर्म ही आड़े आएगा
कर्म ही आड़े आएगा
संतोष बरमैया जय
*आदर्श कॉलोनी की रामलीला*
*आदर्श कॉलोनी की रामलीला*
Ravi Prakash
सरकार भरोसे क्या रहना
सरकार भरोसे क्या रहना
Shekhar Chandra Mitra
3831.💐 *पूर्णिका* 💐
3831.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
सेवा गीत
सेवा गीत
Mangu singh
फिर याद आई
फिर याद आई
Seema gupta,Alwar
गुलाम
गुलाम
Punam Pande
"यहाँ चंद लोगों के लिए लिख रहा हूँ मैं ll
पूर्वार्थ
सावन
सावन
Dr Archana Gupta
चाय की प्याली ......
चाय की प्याली ......
sushil sarna
हम जब लोगों को नहीं देखेंगे जब उनकी नहीं सुनेंगे उनकी लेखनी
हम जब लोगों को नहीं देखेंगे जब उनकी नहीं सुनेंगे उनकी लेखनी
DrLakshman Jha Parimal
Sahityapedia
Sahityapedia
भरत कुमार सोलंकी
शेर
शेर
SHAMA PARVEEN
Loading...