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22 Oct 2023 · 1 min read

अपनों को नहीं जब हमदर्दी

अपनों को नहीं जब हमदर्दी, उम्मीद औरों से मैं क्या करुँ।
सबकी निगाह है मेरे धन पर, विश्वास किसका यहाँ मैं करुँ।।
अपनों को नहीं जब हमदर्दी—————-।।

रिश्तें में तो वो भाई है, व्यवहार मगर है गैरों जैसा।
कभी प्यार से बोले नहीं, रखते हैं मुझे गुलाम जैसा।।
मॉं- बाप होते तो देते पनाह, फरियाद अब मैं किससे करुँ।
अपनों को नहीं जब हमदर्दी—————–।।

जो भी मिला मुझको वसीयत में, चालाकी से छीन लिया।
आँसू हैं अब मेरे हिस्से में, सुख चैन मेरा जो छीन लिया।।
किया है सितम अपनों ने ही, बदनाम औरों को कैसे मैं करुँ।
अपनों को नहीं जब हमदर्दी————–।।

अब वक़्त मेरा जो आया है, रोशन हुआ है मेरा जो नसीब।
आते हैं लेने खबर मेरी रोज, रहते हैं मुझसे अब वो करीब।।
पहले नहीं क्यों पूछे हाल मेरे, अब क्यों ख्याल मैं उनका करुँ।
अपनों को नहीं जब हमदर्दी—————-।।

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

Language: Hindi
Tag: गीत
236 Views

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