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18 Oct 2023 · 1 min read

शासक की कमजोरियों का आकलन

शासन-प्रणाली से तो अधिकतर पाठक वाकिफ होंगे, मगर भारत में प्रचलित बहुदलीय संवैधानिक लोकतांत्रिक व्यवस्था ।
दुनिया की श्रेष्ठतम व्यवस्था का उदाहरण है ।
..
भारत में शिक्षा का अभाव रहते हुए भी,
और
तथाकथित धार्मिक महत्व को नकारा नहीं जा सकता,,
तथाकथित धर्म की आड़ में,, मानव मानवता में भेद, वर्ण-व्यवस्था और जातीय-व्यवस्थाओं में सुधार तो नहीं हो पाये,
मगर विभिन्न दृष्टिकोण में क्षेत्रों में हालात और अधिक बद से बदतर हो गई ।
.
जब शासक के बोल,
किसी को बदनाम और नीचा दिखाने के लिए होने लगे,
जनता बेरोजगार, महंगाई, अशिक्षा, चिकित्सा पद्धति और विज्ञान प्रोद्योगिकी क्षेत्र निजी हाथों से बिकने लगे,, आत्महत्याओं की संख्या बढ़ने लगे,, आदमी कट्टर और आत्मघाती हमलावर लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हो ।
बिन व्यवस्था के व्यवसाय क्षेत्र डूबने लगे ।
देश की धन-संपदा भारतीय संस्थान चुनिंदा हाथों वा घरानों की रखेल बन कर रह जाये,
जब देश की मुद्रा, वैश्विक स्तर पर टिक न सके,
उस कहानी के समान है,, जिसमें कबूतर का वजन एक ऋषि के शरीर के मांस से भी अधिक बना रहे । ये कहानी काल्पनिक ही सही,
इस विषय पर सही वा सटीक बैठती है ।
.
शासक के शौक,,
खुद की तनख्वाह से पूरे न होकर,
डोनेशन पर टिके हो,
जिसे आपदाओं के बिन “देश की संचित मुद्रा” के निकालने के लिए,, बाधक कानून बदल लिए हों, जो आपदा में अवसर खोज लेता हो ।
जो शासक व्यक्तिगत कार्यवाही दमन के लिए
करता हो ।

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