Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
10 Oct 2023 · 1 min read

मेरे देश की मिट्टी

मेरे देश की मिट्टी
===========

जिस मिट्टी के महक से
उड़े सुगंध फुहाड़।
उस मिट्टी की महिमा को
अनंत अनंत प्रणाम।।

सुगंध युक्त है,अनुपम छटा है
मेरे देश की मिट्टी महान।
स्वर्ग सा सुंदर, धर्म धुरंधर
श्रीकृष्ण,राम लिये अवतार।।

भारत भुमि की मिट्टी से है
हमको बड़ा गुमान ।
अमूल्य खजाना इस मिट्टी से
निकला सारे जहां न।।

आन बान अरू शान से
निकल पड़ेगा प्राण।
मेरे देश के मिट्टी को है
अनंत अनंत प्रणाम।।

आदि से अंत तक जिसका
मौजुद है इतिहास।
वेद पुराण सब धर्म ग्रंथ पर
सास्वत है प्रमाण।।

उस देश की मिट्टी,मेरे देश की मिट्टी,, अनंत अनंत प्रणाम।
जग जाहिर है मेरी मातृभूमि
भारत भुमि का सुंदर नाम।।

वन उपजा, पहाड़ ऊंचा
उपज पड़ा है धान।
चरण पखारती गंगा मैय्या
आरती लेवे चारो धाम ।।

पक्षी गण कलरव करते हैं
मधुर गुंजन है गान।
सिंह सियार संग पानी पीते
मेरे देश की मिट्टी है जान।।

डॉ विजय कुमार कन्नौजे

Loading...