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8 Oct 2023 · 3 min read

*जनसमूह के मध्य साक्षात्कार-शैली की सफल प्रस्तुति के जन्मदात

जनसमूह के मध्य साक्षात्कार-शैली की सफल प्रस्तुति के जन्मदाता डॉ कुमार विश्वास : बधाई
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करते स्वागत आपका, श्री कुमार विश्वास (कुंडलिया )
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करते स्वागत आपका श्री कुमार विश्वास
अहोभाग्य हैं क्या कहें, मिला आपका पास
मिला आपका पास, रामपुर आप पधारे
लिए प्रेम की धार, छू रहे नभ के तारे
कहते रवि कविराय, रंग वसुधा में भरते
वंदन हो स्वीकार, रामपुर-वासी करते
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7 अक्टूबर 2023 शनिवार को किले के मैदान में कविवर डॉक्टर कुमार विश्वास की प्रतिभा और आत्मविश्वास का एक अनूठा जादू देखने में आया। अगर हम प्रत्यक्षदर्शी न होते, तो यह विश्वास करना कठिन हो जाता कि एक इंटरव्यू को मैदान में खचाखच भरी हुई भीड़ दो घंटे से ज्यादा समय तक मंत्रमुग्ध होकर सुनती रही ।
यह इंटरव्यू कोई छोटा-मोटा कार्यक्रम नहीं था। रामपुर रजा लाइब्रेरी एवं म्यूजियम के 250 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजित एक बड़ा कार्यक्रम था। जनता कुमार विश्वास के कार्यक्रम में नियत समय से पहले ही कुर्सियों पर आकर बैठना शुरू हो गई। अंत में स्थिति यह थी कि जितने लोग कुर्सियों पर बैठे थे, लगभग उतने ही लोग मैदान में जहां जगह मिली; वहां खड़े हुए दिख रहे थे।
हिमांशु वाजपेई ने कुमार विश्वास का इंटरव्यू लेना शुरू किया। हिमांशु वाजपेई के पास कागज पर ढेरों सवाल लिखे हुए थे, लेकिन पूछने का अंदाज इतना स्वाभाविक था कि प्रश्न में से प्रश्न निकलते हुए नैसर्गिक रूप से दीख रहे थे।
आपने एक यह प्रश्न किया कि हिंदी में मंच के कवि और किताबों के कवि के बीच में दूरी निरंतर क्यों बढ़ रही है ? तो कुमार विश्वास ने उर्दू का उदाहरण दिया और कहा कि वहां हिंदी से बेहतर स्थिति है। उर्दू में कोर्स का कवि और मंच का कवि, दोनों में कोई भेद नहीं है। आपने बताया कि हिंदी में भी मंच के कवि लंबे समय तक वही होते थे, जो कोर्स के कवि हुआ करते थे। फिर बाद में चुटकुले-बाजी मंच पर हावी होने लगी और चीजें उनके हाथों में चली गईं, जो कोर्स से कोसों दूर थे।
जब प्रश्न पूछा गया कि कौन-कौन सी किताबें हैं, जो पढ़ना आवश्यक है तो कुमार विश्वास ने ढेरों पुस्तकों के नाम गिना दिए। लेकिन सभा-स्थल तालियों की गड़गड़ाहट से तब गूॅंजा, जब अंतिम नाम उन्होंने तुलसीदास की रामचरितमानस का लिया। उनका कहना था कि हर व्यक्ति को तुलसीदास की रामचरितमानस अवश्य पढ़नी चाहिए।
एक अध्यापक के रूप में अपना संस्मरण सुनाते हुए इंटरव्यू के दौरान कुमार विश्वास ने कहा कि शिक्षक के अध्यापन-कार्य में उसका आत्मविश्वास प्रकट होना चाहिए। यह आत्मविश्वास गहन अध्ययन से ही प्राप्त हो सकता है। जिस विषय में शिक्षक को व्याख्यान देना है, उस विषय का पूर्ण विशेषज्ञ होना उसके लिए आवश्यक है । मजेदार बात कवि ने यह बताई कि कक्षा में पीछे बैठने वाला छात्र स्वयं भले ही योग्य न हो लेकिन वह भी शिक्षक की योग्यता का मूल्यांकन एक ही व्याख्यान में कर लेता है। सुयोग्य शिक्षक को कभी अपने छात्रों के मध्य निराश, हताश अथवा पराजित नहीं होना पड़ता।
एक मुक्तक की दो पंक्तियां जो आपने पढ़कर सुनाई तो हृदय में बस गईं । “दार” शब्द का अर्थ आपने दर्शकों को बताया कि फांसी का फंदा होता है और इसी अर्थ को लेकर “सरदार” शब्द की व्याख्या आपने एक मुक्तक में कर डाली। मुक्तक की अंतिम दो पंक्तियां थीं :-
वतन के वास्ते अपनी जवानी दार पर रख दे
वह भारत मां का असली लाल ही सरदार होता है
इंटरव्यू को चाहे टॉक-शो कहा जाए, चाहे बतकही कहा जाए या मुशायरे से कवि सम्मेलन तक का सफर नाम दिया जाए; यह एक ऐसा साक्षात्कार था जिनकी जनसमूह के मध्य सफल प्रस्तुति केवल डॉक्टर कुमार विश्वास की प्रतिभा के बलबूते की ही बात है। आपको हमने देखा और सुना, हमारा सौभाग्य !
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लेखक :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

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