Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Sep 2023 · 2 min read

दुविधा

लघुकथा
दुविधा
***************
पिछले महीने जब से मेरा स्थानांतरण घर से काफी दूर हो गया, जहां घर से जाकर ड्यूटी कर पाना संभव नहीं रहा। अभी तो मैं अपने एक सहयोगी के कमरे में ही रहता हूं ।पर हर दूसरे तीसरे दिन घर आना भी मुश्किल हो रहा है। लेकिन पिता जी को अकेला छोड़ कर रहना तो और मुश्किल है। जैसा कि श्रीमती जी भी पहले कहा करती थीं कि जब कभी दूर स्थानांतरण होगा तो हम लोग वहीं कमरा लेकर साथ ही रहेंगे। हालांकि तब की बात और थी। क्योंकि स्थानांतरण की संभावना ही न थी।
लेकिन अब मैंने फैसला कर लिया है कि आज इसका कोई न कोई हल तो निकाल कर ही रहूंगा। क्योंकि दो दिन की छुट्टी भी है,तो समय भी पर्याप्त है।
घर पहुंचकर जब मैंने श्रीमती जी को अपनी दुविधा और परेशानी से अवगत कराया, तब उन्होंने कहा कि इसमें इतना परेशान होने जैसी क्या बात है? अगर पिताजी भी वहां हमारे साथ चलकर रहने को तैयार हैं, तब तो ठीक है। वरना आप अपने लिए एक छोटा कमरा ले लीजिए बस। हफ्ते दस दिन में भी आते रहेंगे, तो बाकी मैं सब संभाल लूंगी।
मगर पिताजी को तुम अकेले कैसे संभाल पाओगी? मैंने संदेह प्रकट किया
क्योंकि पिताजी क्या मुझे काट खायेंगे? श्रीमती जी टोन में बोलीं
नहीं! यार मेरा मतलब है कि जिस स्थिति में वे हैं, क्या वो सब अकेले झेल पाओगी?
देखिए जी ! बच्चों और बुजुर्गो में कोई अंतर नहीं होता है। मैं उनकी मां बन जाऊंगी।बस सब कर लूंगी।आप चिंता मत कीजिए। वो पिता हैं हमारे। उनकी साया हमें वटवृक्ष का बोध कराती है। बस मुझे और कुछ नहीं कहना।
अब कुछ कहने को बचा ही नहीं, तुमने तो मुझे बहुत बड़ी दुविधा से बाहर निकाल लिया। मैं अभी पिता जी से साथ चलने की बात करता हूं।
जरुर कीजिए। मगर चाय बिस्कुट लिए जाइए , उनके साथ ही आप भी पी लीजिएगा और हां याद से दवा भी खिला देना।
जैसी आज्ञा दादी अम्मा! मैं मुस्कुराते हुए चाय की ट्रे उठाकर पिता जी के कमरे की ओर बढ़ गया।

सुधीर श्रीवास्तव गोण्डा उत्तर प्रदेश

Language: Hindi
1 Like · 139 Views

You may also like these posts

- सड़क पर चलता राहगीर -
- सड़क पर चलता राहगीर -
bharat gehlot
तअलीम से ग़ाफ़िल
तअलीम से ग़ाफ़िल
Dr fauzia Naseem shad
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
दोहा त्रयी. . . .
दोहा त्रयी. . . .
sushil sarna
Yes,u r my love.
Yes,u r my love.
Priya princess panwar
Yade
Yade
Iamalpu9492
सूरजमुखी
सूरजमुखी
अंकित आजाद गुप्ता
लोग कहते हैं कहने दो लोगो का क्या ?
लोग कहते हैं कहने दो लोगो का क्या ?
Abasaheb Sarjerao Mhaske
जागरूकता के साथ शुद्धि के तरफ कैसे बढ़े। ~ रविकेश झा ।
जागरूकता के साथ शुद्धि के तरफ कैसे बढ़े। ~ रविकेश झा ।
Ravikesh Jha
दोहा -
दोहा -
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
धरा हरी बनाने को पेड़ लगाओ
धरा हरी बनाने को पेड़ लगाओ
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
3973.💐 *पूर्णिका* 💐
3973.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
* फ़लक से उतरी नूर मेरी महबूब *
* फ़लक से उतरी नूर मेरी महबूब *
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
In Love, Every Pain Dissolves
In Love, Every Pain Dissolves
Dhananjay Kumar
देह से देह का मिलन दो को एक नहीं बनाता है
देह से देह का मिलन दो को एक नहीं बनाता है
Pramila sultan
रिश्ता उम्र भर का निभाना आसान नहीं है
रिश्ता उम्र भर का निभाना आसान नहीं है
Sonam Puneet Dubey
श्री राम।
श्री राम।
Abhishek Soni
हेेे जो मेरे पास
हेेे जो मेरे पास
Swami Ganganiya
.
.
Amulyaa Ratan
"बताया नहीं"
Dr. Kishan tandon kranti
थोङी थोड़ी शायर सी
थोङी थोड़ी शायर सी
©️ दामिनी नारायण सिंह
रफ़्ता -रफ़्ता पलटिए पन्ने तार्रुफ़ के,
रफ़्ता -रफ़्ता पलटिए पन्ने तार्रुफ़ के,
ओसमणी साहू 'ओश'
श्री राम भक्ति सरिता (दोहावली)
श्री राम भक्ति सरिता (दोहावली)
Vishnu Prasad 'panchotiya'
अपने हिस्सों में आई तकलीफे किसे पसंद होती हैं।
अपने हिस्सों में आई तकलीफे किसे पसंद होती हैं।
पूर्वार्थ
प्रेम..
प्रेम..
हिमांशु Kulshrestha
Fight
Fight
AJAY AMITABH SUMAN
2025
2025
*प्रणय*
६४बां बसंत
६४बां बसंत
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
रमेशराज के 2 मुक्तक
रमेशराज के 2 मुक्तक
कवि रमेशराज
अंधभक्ति
अंधभक्ति
मनोज कर्ण
Loading...