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12 Sep 2023 · 1 min read

#ग़ज़ल

#ग़ज़ल
■ अनछुआ सा ख़याल आने दो।।
【प्रणय प्रभात】
◆ इक ग़ज़ल को वजूद पाने दो।
अनछुआ सा ख़याल आने दो।।

◆ सबकी चाहत है उम्र भर रोऊँ।
तुम मुझे कहकहा लगाने दो।।

◆ मुझको फिर इम्तिहान देना है।
उसको फ़ितना नया उठाने दो।।

◆ वक़्त मुश्किल से बुरा आया है।
सारे अपनों को मुस्कुराने दो।।

◆ दाग़ छिप जाएंगे दिवारों के।
और काई सी उभर जाने दो।।

◆ फ़र्ज़ अपना है अपनी हस्ती को।
बेसबब अश्क़ मत बहाने दो।।

◆ बोल सकता नहीं इशारों में।
राज़ दिल के मुझे बताने दो।।

◆ ख़ून वाले परख लिए सारे।
दिल का रिश्ता नया बनाने दे।।

◆ एक साया हो साथ चलने को।
मरमरी धूप पास आने दो।।

◆ दिल ये कहता है हूँ जवाँ अब भी।
आईना उम्र को दिखाने दो।।

◆ ढंग से परवरिश करो ग़म की।
सब्र उसको भी आज़माने दे।।

◆ साज़ ले कर के रात आई है।
एक नग़मा तो गुनगुनाने दो।।

◆ हेकड़ी जिस्म भूल जाएगा।
दर्द को पीठ थपथपाने दो।।

●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्य प्रदेश)

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