Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
1 Sep 2023 · 1 min read

सब समझें पर्व का मर्म

भाई और बहन के प्रेम

का प्रतीक है रक्षाबंधन

हर साल यह करता है

प्रीति का पुनरावलोकन

एक दूजे के लिए दोनों के

मन में रहता खास लगाव

राखी पर्व भरता है दोनों के

मन में और विशेष उछाह

युगों युगों से सनातनी निभा

रहे हैं इस त्यौहार की रस्म

इसके जरिए पुष्ट करते वो

पारस्परिक प्रीति का बंधन

हर भाई अपनी बहन को देता

है दिल से रक्षा का आश्वासन

फिर भी जब तब अनाचार की

सुर्खियां करती ध्यानाकर्षण

भौतिकता की चकाचौंध में

भूल रहे हैं लोग अपना कर्म

हर बहन खुशहाल होगी तभी

जब सब समझें पर्व का मर्म

Loading...