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4 Sep 2023 · 1 min read

।।सावन म वैशाख नजर आवत हे।।

।।सावन म बैसाख नजर आवत हे।।

घातेच करत हे घाम
जीव ह थर्रावत हे
कुंलर पंखा ले देते,कहिके
डोकरी बड़डावत हे।।

बिन पानी कस मछरी
डोकरी ह हड़बड़ावत हे।
बैसाख के महिना ये,कहिके
अक्ति ल मनावत हे।।

सावन महिना म भोंभरा तिपत
बैसाख नजर आवत हे
घाम के तपई म डोकरी
सावन ल भुलावत हे।।

खदर के कुरिया म घलो
झिल्ली पड़पड़ावत है
सावन ल बैसाख समझ के
अक्ति ल मनावत हे।
सावन म भोंभरा तिपत हे
बैसाख नजर आवत हे

अबुझहीन हे दाई हमर
अड़बड़ सपनावत है
सावन के महिना म घलो
बैसाख नजर आवत हे।।

डॉ विजय कुमार कन्नौजे अमोदी आरंग ज़िला रायपुर छ ग

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