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1 Sep 2023 · 1 min read

बैगन के तरकारी

धर दुआर के चौखट ठूनकें छोटकी
मंझिला रोये मार दहाड़ी,
आ थारिया फेंक के राजा भगले,
का करीं हे बलिहारी
हाय रे बैंगन के तरकारी!
ओन टोन से गोतिया बोले
देखे गाछी निहारी
भरल निठाला आवे पावनियाँ
पूछे बीच बाजारी
हाय रे बैंगन के तरकारी!
लोटा जाँता हंडिया तसला
फेंकल भरल घर के दुआरी
दुपहर के भोजन के खातिर
फुट परल भाईचारी
ह बाँटें के तैयारी
हाय रे बैंगन के तरकारी!!!

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