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31 Aug 2023 · 1 min read

वाह रे जमाना

बड़ी श्रद्धा भाव से
, गई थी प्योसार
लौट आई रूदन कर
लौटी है ससुराल

पीहर पहूंची,भाई को खोजी
मिला न भाई यार
मां को पुछी‌,घर आंगन ढुंढी
भैया गया ससुरार

लौट आई वह रूदन करते
मिला न भाई का प्यार
वाह जमाना क्या गजब है
विचार कीजिएगा यार

निश्चय ही, यह बात सत्य है
करो न करो स्वीकार
सभी बहन की है, यही दशा
भईयन गये ससुरार

लौट रही थी भाभी भैया
मन था दोनों उदास
ननद भौजाई का मेल से
आ पड़ी आंखों से धार

कवि विजय तो सुन लिया
इनके वार्तालाप
दर्द हृदय पर था दोनों का
दोनों किये मलाल

आने वाली है बहन आपका
तो घर पर रहो मेरे यार
भाई भौजाई बिन घर अधुरा
मायका रही है अंधकार

डॉ विजय कुमार कन्नौजे अमोदी आरंग ज़िला रायपुर छ ग

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