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29 Aug 2023 · 1 min read

भुतकाल के वशीभूत भुतकाल कायल हो।

भुतकाल के वशीभूत
भुतकाल कायल हो।
हो विच्छेदन पति-पत्नी
दोनों रहे नालायक हो।।

पवित्र बंधन में पति-पत्नी
समझ रखोगे यार।
पत्नी तो खोजत फिरे
निज पति का प्यार ।।

है कर भरोसा पति पर
आई है पर द्वार।
उठ जाय भरोस पति से
फिर न रहेंगे यार।।

पत्नी बिन जीवन अधुरी
बिन पत्नी है श्मशान
विधुर हृदयण को पुछिये
जग है नारी महान।।

नारी जगत भी‌ जानिये
पति बड़ा बलवान।
अश्मिता बचाने आपका
दे देता है निज प्राण।।

बच्चपन बिता खेल-खेल
भुल जाओ जजमान
नर नारी दोनों सजग हो
एक दुजे कर सम्मान

न करें विच्छेद पति पत्नी
सात जन्म का साथ।
एक दुजे का दर्द समझकर
कभी न छोड़ियेगा हाथ।।

डां विजय कुमार कन्नौजे अमोदी आरंग ज़िला रायपुर छ ग

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