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27 Aug 2023 · 1 min read

आशिकी दरकार है (ग़ज़ल)

दिल तुम्हें जब आशिकी दरकार है
राह फिर क्यों मखमली दरकार है

जिंदगी है आजकल हमसे खफा
उसको थोड़ी दिल्लगी दरकार है

शोर तन्हाई का रब्बा हर तरफ़
जिंदगी को जिंदगी दरकार है

हुस्न बख्शा है तुम्हें रब ने मगर
दिल को थोड़ी सादगी दरकार है

काट लेंगे यार तनहा शाम भी
इक तेरी तस्वीर की दरकार है

राह चलते यूं वफा मिलती नहीं
इश्क में दीवानगी दरकार है
✍️ दुष्यंत कुमार पटेल

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