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12 Aug 2023 · 1 min read

बमुश्किल से मुश्किल तक पहुँची

बमुश्किल से मुश्किल तक पहुँची
हमारा बात कहाँ दिल तक पहुँची
पहुँच पाना मुसलसल स्वप्न सा है,
ख़्वाहिशे कब-कहाँ मंजिल तक पहुंचीं
-सिद्धार्थ गोरखपुरी

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