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12 Aug 2023 · 1 min read

***क्या है उनकी मजबूरियाँ***

***क्या है उनकी मजबूरियाँ***
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क्या है उनकी भला मजबूरियाँ,
बढ़ती जा रहीं हैँ बहुत दूरियाँ।

कोई ना कोई वो बहाना बनाए,
काम ना आ रही जी हुजूरियाँ।

दिल की बातें जुबां पर न आए,
ऐसी भी क्या हो गई दुश्वारियाँ।

वो क्या जाने कैसे कटते हैँ दिन,
नाईलाज लग रहीं हैँ बीमारियाँ।

सूरत ए हाल बेबस है मनसीरत,
बुरी बड़ी हैँ इश्क की खुमारियाँ।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)

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