Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
9 Aug 2023 · 2 min read

अन्न का मान

अन्न का मान

“खुशी ये क्या शौक चढ़ा है तुम्हें, कभी भी कहीं से कोई भी फोन कर देता है और तुम थैला, टिफिन और कुछ डिस्पोजल कप-प्लेट पकड़ कर निकल जाती हो । मुझे ये बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता कि तुम यूं भिखारियों की तरह कहीं भी चली जाती हो । ईश्वर का दिया हुआ सब कुछ तो है हमारे पास, फिर तुम ये…।”

“संतोष जी, ईश्वर की कृपा और पूर्वजों के आशीर्वाद से आज हमारे पास सब कुछ है । पर आप तो जानते ही हैं कि आज भी हमारे देश के लाखों लोगों को दो जून की रोटी नसीब नहीं हो पाती। वहीं अनेक होटल, रेस्टोरेंट और पार्टी वगैरह में ढेर सारा खाना बच जाने पर फेंक दिया दिया जाता है । यह तो अन्न का सरासर अपमान है न । यदि मैं यही बचा हुआ खाना वहां से लेकर फुटपाथ पर जिंदगी बसर कर रहे जरुरतमंद लोगों और बच्चों को खिला देती हूं तो इसमें बुरा क्या है ?”

“खुशी, बुरा कुछ भी नहीं है, पर पता नहीं क्यों मुझे ये सब थोड़ा-सा अजीब लगता है ?”

“संतोष जी, ये सब मैं अपनी आत्मिक खुशी के लिए करता हूं । इसलिए मैंने कई होटल, रेस्टोरेंट, कैटरर्स, विवाह घर और सामुदायिक भवन के संचालकों को अपना मोबाइल नंबर दे रखा है। जब भी उनके यहां ग्राहकों या मेहमानों के खाना खाने के बाद कुछ खाना बच जाता है, तो वे मुझे खबर कर देते हैं । मैं वहां पहुंचकर खाना ले आती हूं और फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों, महिलाओं और वृद्ध लोगों को परोस देती हूं । कई बार तो जब ज्यादा भोजन बच जाता है, तो होटल और कैटरर्स वाले अपनी गाड़ी से ही अनाथालय या वृद्धाश्रम तक पहुंचा देते हैं । गरीब और जरूरतमंद भूखे बच्चों को पेट भर खाना खिलाने के बाद उनकी आंखों की तृप्ति देखकर जो सुकून मिलता है, वह शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। बस महसूस किया जा सकता है ।

“….”

“संतोष जी, यदि आप भी थोड़ा-सा समय निकालकर मेरा साथ दें, तो…”

“खुशी, वाकई तुम बहुत ही नेक काम कर रही हो। मैंने अग्नि को साक्षी मानकर तुमसे जीवनभर साथ निभाने का वादा किया है। इसलिए तुम्हारी खुशी में ही मेरी खुशी है । सो, अब से तुम्हारे इस काम में मैं भी पूरा साथ निभाऊंगा ।”

आजकल संतोष और खुशी दोनों मिलकर शहर के अनेक होटल, रेस्टोरेंट, विवाहघर और पार्टी में बचे भोज्य पदार्थ इकट्ठे कर जरूरतमंद लोगों को खिलाने का काम करते हैं ।
– डॉ प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़

Loading...