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6 Oct 2020 · 1 min read

भरोसा है नहीं अब आदमी का

भरोसा है नहीं अब आदमी का
बना उस्ताद है धोखाधड़ी का

हुआ ईमान है पैसा किसी का
बुरा भी वक़्त होगा फिर उसी का

हमें हर बार धोका ही मिला है
यक़ीं कैसे करें अब हम किसी का

ज़माने ने इसे पैदा किया है
बताओ कुछ तो हल इस मुफ़लिसी का

बुरा है पीठ पीछे ज़िक्र भी पर
करो चर्चा नहीं उसकी कमी का

नमन करता हूँ उसके हौसले को
किया है सामना उसने ग़मी का

चला आता अगर वो वक़्त रहते
चला आता वहाँ से मैं कभी का

नमन ‘आनन्द’ करता सर झुकाकर
वही मालिक है मेरी ज़िन्दगी का

– डॉ आनन्द किशोर

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