कुछ लोग ऐसे हैं दुनिया में
ख़त्म रिश्ता हो गया तो ,अब निशानी किस लिए
वो आया इस तरह से मेरे हिज़ार में।
EVERYTHING HAPPENS AS IT SHOULD
वो पिता है साहब , वो आंसू पीके रोता है।
मैं रूठूं तो मनाना जानता है
चांद , क्यों गुमसुम सा बैठा है।
शीर्षक-आया जमाना नौकरी का
अपनों से अपने जहां,करें द्वेष छल घात
किसी के साथ रहो तो वफादार बन के रहो, धोखा देना गिरे हुए लोगो
शुरुआत में खामोशी समझने वाले लोग
*कुछ रखा यद्यपि नहीं संसार में (हिंदी गजल)*
"परिश्रम: सोपानतुल्यं भवति
दिल है पाषाण तो आँखों को रुलाएँ कैसे