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28 Jun 2023 · 1 min read

#लघु_कविता

#लघु_कविता
■ कोई शिकायत नहीं…!
【प्रणय प्रभात】
औरों जैसे ही थे,
तुम भी वैसे ही थे।
भावना से परे
ख़ुद में ही लीन से,
चेतना-हीन से।
ना सुखी, ना दुःखी,
सुप्त अंतर्मुखी।
चाह हो कर भी चाहत नहीं।
तुम से कोई शिकायत नहीं।।

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