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28 Jun 2023 · 1 min read

लिखने – पढ़ने का उद्देश्य/ musafir baitha

आप लेखक हैं और कम से कम जाति, धर्म,जाति-धर्म से लगी नकारात्मक रूढ़ियों, अंधविश्वासों, वाह्याचारों के विरुद्ध नहीं लिखते-पढ़ते तो जाइये, मैं आपको प्रगतिशील/वामी/मार्क्सवादी/अम्बेडकरवादी/नास्तिक, इनमें से खुद को आप जो कुछ क्लेम करे, नहीं मानता।

कम से कम इसलिए कहा कि इन व्याधियों के विरुद्ध आपका आचरण भी होना चाहिए। सोने में सुगंध तभी जब आपकी रचनाशीलता कर्म से बलित हो, समर्थित हो।

लिखते हम इसलिए हैं कि उससे कोई सकारात्मक संदेश मिले, कुछ न कुछ धुंध छँटे। जब हमारे लिखने के विरुद्ध हमारा आचरण हो, उसके मेल में न हो तो लिखे का क्या अर्थ?

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