कुछ ना पा सकोगे तुम इस झूठे अभिमान से,
जिंदगी में कुछ कदम ऐसे होते हैं जिन्हे उठाते हुए हमें तकलीफ
यूं आंखों से ओझल हो चली हो,
पैसा ,शिक्षा और नौकरी जो देना है दो ,
कुंभकार
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
मैं समझता हूँ, तुम सफल होना चाहते हो। तुम्हें अपने सपनों तक
"कुछ तो गुना गुना रही हो"
नेता हुए श्रीराम
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
आप आते हैं तो बहारों पे छा जाते हैं ।
तुम प्रेम सदा सबसे करना ।
सच्चे कवि और लेखक का चरित्र।
*सा रे गा मा पा धा नि सा*
दोहा- मीन-मेख
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जीवन
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)