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15 Jun 2023 · 1 min read

झूठ परोसा गया

तुम्हारे *फ़साने *तराने बन गये,
झूठ परोसा *जो सब *सद् गये,

*भूखे रुखे *सूखे खाके सो गये,
बेचैन *धर्म के नाम पे *जो उठे,

*गुनगुना रहे थे, वे जो *फ़साने,
तराने गाते हुए,उनमें जा मिले,

झूठ परोसा *जो सब *सद् गये,
तुम्हारे *फ़साने *तराने बन गये,

कहते किसे पूछते *किससे अबे,
पेट खाली मगर सब झूमते मिले,

हमने पूछा यह *जुनून कैसे चढ़े,
बताओ जरा हम भी *आगे बढ़े,

बहुत बुरा है भारतीयता में लडना,
हो सके तो *सब इस छद्म से बचे.

चोरी कर सीना जोर आजमाइश,
जनता विरोध में पूरी खवाहिश.

टैक्स के स्लेब ने सेठों को भगा दिया,
पेटा ही नहीं भरता, बता क्या किया.

ये जो तुम्हारी कुछ बनने की अभिलाषा,
तोड़ रही है, सबके स्वप्न आशा तृषा वर्षा.

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