Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jun 2023 · 1 min read

वतनपरस्ती का जज़्बा

वतनपरस्ती का जज़्बा न हो कम
इस जज़्बे में है बहूत ही दम
वतनपरस्ती का जज़्बा सलामत
जरूर है कि सलामत है वतन ।

यूं तो वतनपरस्ती नहीं है सस्ती
फिर भी महँगी नहीं वतनपरस्ती
वतन की आरजु बने तेरी आरजु
ख्वाहिश पले सिर्फ वतनपरस्ती ।

वतन के लिए झेले जो सारे कष्ट
वही है वतनपरस्तःवही है वतनपरस्त।

Language: Hindi
173 Views
Books from Rajeev kumar
View all

You may also like these posts

गिरिधारी छंद विधान (सउदाहरण )
गिरिधारी छंद विधान (सउदाहरण )
Subhash Singhai
#धोती (मैथिली हाइकु)
#धोती (मैथिली हाइकु)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
लड़कियांँ इतनी सुंदर भी होती हैं
लड़कियांँ इतनी सुंदर भी होती हैं
Akash Agam
मेरी शान तिरंगा है
मेरी शान तिरंगा है
Santosh kumar Miri
ऐसा क्यों होता है..?
ऐसा क्यों होता है..?
Dr Manju Saini
तुम दरिया हो पार लगाओ
तुम दरिया हो पार लगाओ
दीपक झा रुद्रा
- मुझको बचपन लौटा दो -
- मुझको बचपन लौटा दो -
bharat gehlot
मानते हो क्यों बुरा तुम , लिखे इस नाम को
मानते हो क्यों बुरा तुम , लिखे इस नाम को
gurudeenverma198
अपनी धरती कितनी सुन्दर
अपनी धरती कितनी सुन्दर
Buddha Prakash
मां की दूध पीये हो तुम भी, तो लगा दो अपने औलादों को घाटी पर।
मां की दूध पीये हो तुम भी, तो लगा दो अपने औलादों को घाटी पर।
Anand Kumar
हाथ माखन होठ बंशी से सजाया आपने।
हाथ माखन होठ बंशी से सजाया आपने।
लक्ष्मी सिंह
शोक-काव्य
शोक-काव्य
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
आप किसी के बुरे बर्ताव से दुखी है तो इसका मतलब वो लोगो का शो
आप किसी के बुरे बर्ताव से दुखी है तो इसका मतलब वो लोगो का शो
Rj Anand Prajapati
सच और सोच
सच और सोच
Neeraj Agarwal
अच्छे समय का
अच्छे समय का
Santosh Shrivastava
तेवरी’ प्रेमालाप नहीं + आदित्य श्रीवास्तव
तेवरी’ प्रेमालाप नहीं + आदित्य श्रीवास्तव
कवि रमेशराज
एक शाम ऐसी थी
एक शाम ऐसी थी
Ritu chahar
सावन
सावन
Shriyansh Gupta
मैं खड़ा किस कगार
मैं खड़ा किस कगार
विकास शुक्ल
जै मातादी
जै मातादी
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
इल्म
इल्म
Bodhisatva kastooriya
हार नहीं होती
हार नहीं होती
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
झूठ के सागर में डूबते आज के हर इंसान को देखा
झूठ के सागर में डूबते आज के हर इंसान को देखा
इंजी. संजय श्रीवास्तव
..
..
*प्रणय*
श्रंगार लिखा ना जाता है।।
श्रंगार लिखा ना जाता है।।
Abhishek Soni
" गुजारिश "
Dr. Kishan tandon kranti
बेशक उस शहर में हम अनजान बन के आए थे ।
बेशक उस शहर में हम अनजान बन के आए थे ।
Karuna Goswami
न जाने क्यों ... ... ???
न जाने क्यों ... ... ???
Kanchan Khanna
आधार छन्द-
आधार छन्द- "सीता" (मापनीयुक्त वर्णिक) वर्णिक मापनी- गालगागा गालगागा गालगागा गालगा (15 वर्ण) पिंगल सूत्र- र त म य र
Neelam Sharma
4320.💐 *पूर्णिका* 💐
4320.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
Loading...