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15 Jun 2023 · 1 min read

अमृत धारा

नील गगन से आने वाली वर्षा
संग लाना तुम अमृत धारा
धुल जाये सब पीड़ा जग की
सुन लो बात यह अन्तर्मन की
आज जग में छाया सघन अन्धकार
त्राहि – त्राहि कर रहा मानव जीवन लाचार
प्रकृति कुपित है मानवता कमजोर
चल न‌‌‌ सका कही कोई जोर
अब मानव हिय की वेदना सुनो
जीवन में फिर से जगे नव चेतना
उत्साह उमंग और उल्लास की
जीवन में खुशियों की सौगात की
नील गगन से आने वाली वर्षा
संग लाना तुम अमृत धारा

नेहा
खैरथल (अलवर) राजस्थान

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