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12 Jun 2023 · 1 min read

2338.पूर्णिका

2338.पूर्णिका
🌹पहले जैसा अब अपनापन नहीं रहा🌹
22 22 22 22 1212
देखो आज चुलबुले बचपन नहीं रहा ।
पहले जैसा अब अपनापन नहीं रहा।।
भूल गए लोग रिश्तें नातें यहाँ जहाँ ।
सच सच बोले ऐसा दरपन नहीं रहा।।
दुनिया की अजब कहानी है सुने कहाँ ।
घोले जहर जुबां मीठापन नहीं रहा ।।
करते सब तरक्की की बातें दया धरम ।
बेमानी हावी सुचितापन नहीं रहा ।।
बदलेंगे खेदू अब तकदीर नेकिया।
साथी साथी में भोलापन नहीं रहा ।।
…………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश ”
12-6-2023सोमवार

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