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11 Jun 2023 · 2 min read

आवाज

आवाज हूं मैं

इस भूमि की आवाज हूं ,अनंत की अव्यक्त की ,आवाम की आवाज हूं

तेरे हृदय की ,मस्तिष्क की , मैं इंसान की आवाज हूं

पूछती है यह धरा, कैसा है यह विस्फोट भला ?

कुछ नई इमारतों पर कर दिए तरुवर फिदा

समीर में है विष घुला, सरिता भी ना स्वच्छ रहा

समुद्र में है कचरा भरा , शिखर भी हिम द्रव बना

जनसंख्या का विस्फोट हुआ, विधवन्स चहु ओर हुआ

और पूछती है यह धरा, कैसा है यह विस्फोट भला

आवाज हूं मैं इस धरा की आवाज हूं, वसुधा की आवाज हूं

व्योम की, पृथवी की , मेघ की आवाज हूं

अनंत की, अव्यक्त की ,तेरे हृदय की आवाज हूं

पूछता है यह अंबर बड़ा, कैसा है यह कोलाहल मचा ?

नभचरो का व्योम क्यों वायुयानो से घिरा ?

सूर्य का प्रकाश भी अब ,प्रदूषित धुऐं से घिरा

अनंत के अमन में, युद्ध का खलल मचा

शांति के माहौल में , विध्वंस का सृजन हुआ

पूछता है आसमां, क्यों रक्त का सरित बना ?

आवाज हूं मैं , इस भूमि की आवाज हूं अनंत की आवाज हूं, मैं वक्त की आवाज हूं !

पूछता है इतिहास यहां, वृतांत कुछ ऐसा सुना

लिंकन , मंडेला, गांधी ओ से हो शुरू

सू की, मलाला, बेनजीर तक का कर हाल बयां

एक लक्ष्मी थी सन् सत्तावन में , हर लक्ष्मी को तू आज जला

उस पर फिर छपाक बना

यत्र नारी अस्तु पूज्यंते का जाप कर, फिर एक नई निर्भया और मनीषा बना

आवाज हूं मैं, इस धरा की

अनंत की ऊंचाई की

तेरे हृदय की गहराई की ,आवाज हूं मैं

पूछता है वक्त तुम से, कैसी है यह स्थिरता भला

देख!

प्रयत्नशील और परिवर्तन पर ही, यह ब्रह्मांड चला

उठ!देख !

सूर्य ,चंद्र भू ,ग्रहों को गतिमान ज़रा

आ , कर प्रण, निरंतर गतिशील बनकर

हृदय परिवर्तन की ओर प्रयास ज़रा निश्छल ,अडिग अचल अटल बन तू इंसान ज़रा

बदल कर हृदय अपना बदल सकता तू संसार भरा

क्योंकि

आवाज हूं मैं,

इस भूमि की इस धरा की, अनंत की ,अव्यक्त की

आवाज हूं मैं तेरे हृदय की ा

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