रामायण में हनुमान जी को संजीवनी बुटी लाते देख
परिवर्तन ही वर्तमान चिरंतन
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
हमें यह समझना होगा कि सब कुछ व्यक्तिपरक है। हर स्थिति को हल
बस इस दिल में गढ़ी जो तिरी सूरत है,
जीवन पथ
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
दरवाजा खुला छोड़ा था की खुशियां आए ,खुशियां आई भी और साथ में
जो कमाता है वो अपने लिए नए वस्त्र नहीं ख़रीद पाता है
जीवन में कई लोग मिलते हैं, कुछ साथ रह जाते हैं, कुछ का साथ छ
सभी गम दर्द में मां सबको आंचल में छुपाती है।
कुरुक्षेत्र की अंतिम ललकार भाग-2
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
स्वर्गीय लक्ष्मी नारायण पांडेय निर्झर की पुस्तक 'सुरसरि गंगे
गुरु गोविंद सिंह जयंती विशेष