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1 Jun 2023 · 1 min read

जय जय किसान।

कर्जे की खेती है करता,
बब्बू जीता न था मरता,
कभी अकाल कभी बाढ़,
कभी ओले की होती बरसात,
फिर भी दिन रात श्रम है करता,
धन्य है जय जय किसान,
जय जय किसान।……(1)

तेज़ धूप में खुद है जलता,
ठिठुरती ठण्ड में फसल को तकता,
देश की भूख को पोषण करता,
परिवार निवाले को है तरसता,
खुश रहकर आखिर वह जीता,
धन्य है जय जय किसान,
जय जय किसान।….….(2)

कोशिश उनकी दो रोटी की होती,
परिवार से जीता,सम्मान है पीता,
बब्बू लाचार बना क्यों आज,
भू-स्वामी मात्र किसान हो ,
अन्न को वह उपज सके,
धन्य है जय जय किसान,
जय जय किसान।………..(3)

चेहरे क्यों उनके उदास हो,
आत्महत्या ना प्रयास हो,
हरियाली धरा में लहलहाति उनसे,
जीवन भी उनका खुशहाल हो,
उऋण रहे कर्ज से किसान,
धन्य है जय जय किसान,
जय जय किसान।………..(4)

बब्बू ने पायी जायजद,
प्राणो से प्रिय भूमि,
किसानों का प्राण,
वर्षो तक देश रहे खुशहाल,
दे दो उनको भूमि आज,
धन्य है जय जय किसान,
जय जय किसान।……….(5)

रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।

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