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29 May 2023 · 1 min read

वही जीता

जीवन यात्रा का सुख,
अनायास पा लेने में कहाँ?
अथक प्रयत्नों से,
बाहों में समेट लेता जहां।
पार कर गिरि-नद-नाले,
दुर्लंघ्य शिखर,
अन्तहीन मरूस्थल में,
नंगे पाँव।
जीतकर अतृप्त प्यास,
लेकर हृदय में सिर्फ आस,
मथकर स्वयं उदधि,
पाता है सिर्फ जहर।
फिर भी जीता है,
शिव बनकर,
पढता है,
संघर्ष की गीता।
स्नेह देकर सबको,
रहता स्वयं रीता।
फिर वह हारा कहाँ?
वही जीता! वही जीता!
प्रतिभा आर्य
अलवर (राजस्थान)

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