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28 May 2023 · 1 min read

सफ़र

बाकी अभी सफ़र था पर, हमसफ़र साथ-साथ हमक़दम हो कर,
साथ-साथ चलने को राज़ी नहीं था।
हम आगे बढ़ जाते तो-हमसफ़र छूट जाता, और,
वहीं रुक जाते तो सफ़र टूट जाता,
यानी कि -सितम की सर्द, सियाह, सुनसान रात थी,
मगर एक बात थी,
दिये में बारूद था, जलाते तो मर जाते, ना जलाते तो तब तो ज़रूर मर जाते।
बडी़ कशमकश थी, यकायक ज़हन में ख़याल ये आया,
सफ़र टूट जाए तो मंजिल ना मिलेगी,
ना सही साथ कोई हमसफ़र या कोई हमक़दम ना सही,
मंजिल की जानिब, तन्हा सही पर चलना ही होगा,
ज़िंदगी का मक़सद जैसे भी हो,
हासिल करना ही होगा।

Language: Hindi
327 Views
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