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27 May 2023 · 1 min read

नारी

आधुनिक नारी किसी से कम नहीं,
कंधे से कंधा मिलाकर करती है सब काम,
थकान उसके स्वभाव में नहीं है।
………..
बच्चों को संस्कार देने वाली है नारी,
सहनशीलता की प्रतिमूर्ति है नारी,
परिवार की मर्यादा है नारी,
सब के लिए मंगल चाहने वाली है नारी।
……………
सब से स्नेह रखने वाली है नारी,
पुरुष के भाग्य को परिवर्तित कर देने वाली है नारी,
दो परिवारों को जोड़ती है नारी,
दो वंशों का मेल कराती है नारी।
…………
सब को खिलाने के बाद शेष बचे हुए से अपना निर्वाह करने में संतोषी प्रवृति रखने वाली है नारी,
त्याग की मूर्ति है नारी,
देवताओं से भी पहले जिसकी पूजा जो,
धन्य है वह भारत की नारी।
………….
सीता का त्याग, राधा और मीरा का प्रेम,
रानी लक्ष्मी की कुर्बानी, इंदिरा गांधी का देश संचालन,
कल्पना चावला की उड़ान,
नारी उत्थान के हैं विविध प्रतीक।
………..
देवी दुर्गा के नौ रूप हैं नारी,
सौंदर्य के साथ शक्ति का रूप है नारी,
संस्कृति की पहचान है नारी।

घोषणा – उक्त रचना मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है। यह रचना पहले फेसबुक पेज या व्हाट्स एप ग्रुप पर प्रकाशित नहीं हुई है।

डॉ प्रवीण ठाकुर
भाषा अधिकारी
निगमित निकाय भारत सरकार
शिमला हिमाचल प्रदेश।

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