Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
27 May 2023 · 1 min read

(19)

(19)
मन में रक्खें बैर की भावना ।
दुष्ट है वो, संत नहीं है ।।

सीमित रखिये विषय-वासना ।
इच्छाओं का अंत नहीं है ।।

व्यर्थ है फिर ज्ञान तुम्हारा।
सोच में जब तर्क नहीं है।।

रिक्त है जो मानवता से ।
ईश्वर का वो भक्त नहीं है।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Loading...