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27 May 2023 · 1 min read

गज़ल

हमने चाहा था के रोशन रहे दिल की दुनिया
तुमने दीपक को बुझाने की मुनादी कर दी।

गुँचे खिल भी न पाए गुलशन में
कुचली कलियाँ, बरबादी कर दी।

मुहाफ़िज़ आप कभी बन ना सके
वादे तोड़े औ जिंदगी तनहा कर दी।

आज आकाश भी तड़पने लगा
रोया इतना , के ज़मीन तर कर दी।

ये अमल कैसा के, समझे ही नहीं ‘रानू’ को
जिंदगी दे ना सके, मौत भी मुश्किल कर दी।

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