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26 May 2023 · 1 min read

सजल नयन

कहा तो तुमसे था मैंने, कि
सजल नयन न होने दूँगी।

पर साथी, इतना बतलाओ
व्याकुलता हद पार करे जब।
रोए बिलखें प्राण मेरे, और
अंतर्मन न धीर धरे जब।

तब मुझको क्या करना होगा?
कह दोगे, तो मैं हँस दूँगी।

तुमने मुक्त किया तो था, पर
पाश कोई अब भी जकड़े है।
न जाने कितनी ही यादें
हाथ मेरा अब भी पकड़े हैं।

बात हर एक यूँ तो है मानी
पर यादें न वापिस दूँगी।

साथी, तुम तो चले गए, पर
प्रेम कहाँ ऐसे मिटता है।
नींद से बोझिल आँखों में,
हर ओर दरस तेरा दिखता है।

दरस ये ओझल करने को,
क्या नींद ही न मैं आने दूँगी?

कहा तो तुमसे था मैंने, कि
सजल नयन न होने दूँगी।

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