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26 May 2023 · 1 min read

बहुतेरा है

क्यों खोजे महल दुमहले तू,
क्या जाने कब तक डेरा है।
इस आनी जानी दुनिया में,
है जितना भी बहुतेरा है।

चहुँ ओर लिए पिंजरे पिंजरे,
सैयाद फिरे बिखरे बिखरे,
पंखों में भर विश्वास तू उड़,
ये नील गगन बहुतेरा है।

कोई क्यों साथ भला देगा,
जितना देगा दुगना लेगा,
क्यों जोहे बाट तू औरों की,
मन मस्त मगन बहुतेरा है।

सूखे फूलों का गम न कर,
कल आएगा खुशबू ले कर,
दामन अपना लहराए जा,
यहाँ इत्र-ए-चमन बहुतेरा है।

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