Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
15 May 2023 · 1 min read

हरा-भरा बगीचा

यह जो हरा-भरा
बगीचा है
पूरखों ने लहू से
सींचा है
कोई पौधा उखड़ने
मत देना
तुम इसको उजड़ने
मत देना…
(१)
रंग-रंग की
चिड़ियां इसमें
चहकती रहें तो
बेहतर है
वे पेड़-पेड़
डाली-डाली
फुदकती रहें तो
बेहतर है
कोई पंख कुतरने
मत देना
तुम इसको उजड़ने
मत देना…
(२)
आस-पास के
जंगल से
कोई वहशी
न आ पाए
हमारे मासूम
हिरनों पर
अपनी वहशत
न दिखा पाए
कोई फूल
कुचलने मत देना
तुम इसको
उजड़ने मत देना…
(३)
ख़ुशबू हवा में
घुलने दो
रोशनी फ़िज़ा में
फैलने दो
अब भौंरों को
तुम कलियों से
बिना झिझक के
मिलने दो
दो दिलों को
बिछड़ने मत देना
तुम इसको
उजड़ने मत देना…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
#भारत #एकता #प्रेम #खुशहाली
#शांति #विकास #सुरक्षा #स्वच्छता
#नौजवान #सेना #हरियाली #समानता

Loading...