Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
14 May 2023 · 1 min read

मातारानी

कुछ अलग ही सुकून है शेरावाली के दरबार में,
कुछ अलग ही जुनून है पहाड़ावाली के प्यार में,
उनकी ममता का वर्णन मैं कैसे करूँ,
उनकी बातों का चित्रण मैं कैसे करूँ,
कहाँ से लाऊँ वो पवित्र शब्द क्या कहुँ,
उनकी करुणा का वर्णन मैं कैसे करूँ,
साक्षात देखा नही माँ को पर उनका अहसास जरूर मिला है,
जब दुनिया ने अकेला छोड़ दिया तब मेरी माँ का साथ जरूर मिला है,
मेरी माँ का आशीर्वाद ही सबसे ख़ास है,
मुझे उनसे बस यही आस है,
मझधार में फँसी मेरी नौका को वो पार जरूर लगाएगी,
ये मेरा उनपर पूर्ण विश्वास है।

✍️वैष्णवी गुप्ता(Vaishu)
कौशांबी

Loading...