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14 May 2023 · 1 min read

कैद…!

चार दिवारी में कैद
खिड़की से झांकता है,

कभी-कभी दिन गुजरते नहीं
इंसान बड़ी मुसीबतो में दिन काटता है,

खुले आस्मां पर निगाहें है
कभी दिल आस्मां पर उड़ जाने को चाहता है,

जब घर पर भी ठहरते नही कदम
मुसाफिर नए रास्तों पर तनहा ही निकल जाता है…!

~ गरिमा प्रसाद 🥀

Language: Hindi
1 Like · 275 Views

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