Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
26 Apr 2023 · 1 min read

*यदि मक्खी आकर हमें डराती (बाल कविता)*

यदि मक्खी आकर हमें डराती (बाल कविता)
—————————————-
अगर बेधड़क होकर चूहा
उछल-कूद ही करता
और छिपकली का बच्चा भी
हम‌को देख न डरता

कौए काँव-काँव नित करके
पास हमारे आते
बिल्ली-कुत्ते निर्भय होते
तब हम भगा न पाते

आफत में पड़ते यदि मक्खी
आकर हमें डराती
घर से बाहर कौन निकलता
घर में मुश्किल आती

अच्छा किया प्रभो !
पशु-पक्षी को डरपोक बनाया
हम डरते हैं इनसे
तुमने इनको नहीं बताया
—————————————-
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

Loading...