"तुम्हारी चाहतों ने ख़्वाब छीने, नींद तक छीनीं,
“तुम्हारी चाहतों ने ख़्वाब छीने, नींद तक छीनीं,
तुम्हीं सोने को कहते हो तुम्हीं शब् भर जगाते हो।
अजब सा शौक़ रखते हो कोई समझे तो क्या समझे?
कभी नज़दीक़ आते हो तो अक़्सर दूर जाते हो।।
■प्रणय प्रभात■