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7 Apr 2023 · 1 min read

मंजर जो भी देखा था कभी सपनों में हमने

मंजर जो भी देखा था कभी सपनों में हमने
उन सपनों को हकीकत से रूबरू कराएंगे ।

एक बार कश्ती को तुम पानी में उतरने तो दो
सागर का गुरूर खत्म करके पार कर जाएंगे।

✍️कवि दीपक सरल

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