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19 Jun 2016 · 1 min read

ग़ज़ल :-- बड़े चर्चे हैं राहों में !!

ग़ज़ल –: बड़े चर्चे हैं राहों मे !!

चहरा चाँद सा रोशन रौनक इन फिजाओं मे !
तेरी दिलकस अदाओं के बड़े चर्चे हैं राहों में !!

नशा ये मय का है या फिर रंगत हुस्न ने लाई !
दुनिया गुम सी लगती है नशीली इन निगाहों में !!

नहीं कोई चाह बाकी है ना तो परवाह जन्नत की !
आसरा मिल अगर जाये जुल्फों की पनाहों में !!

मुकम्मल हो ना हो गुल को बुलबुल की चहक प्यारी !
तराने छेड़ ही जाती बहकी इन हवाओं मे !!

कर के ईबादत लाख मन्नत हमनें भी माँगी !
जन्नत है कहीं शायद बस तेरी ही बाहों में !!

अनुज तिवारी “इन्दवार”

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