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3 Apr 2023 · 1 min read

मुझको शिकायत है

तुझको क्या बताऊं मैं
कि मुझको क्या शिकायत है
सभी से दोस्ती है उसको
क्यों मुझसे ही अदावत है

कहता हूं मैं चीख चीखकर
वो सुनता नहीं है बात
अपना ये अंदाज़ वो
क्यों मुझको ही दिखावत है

हालत से वो दिल के मेरे
खुद को अंजान बतावत है
पकड़ पकड़ कर हाथ उसके
क्यों मुझको ही जलावत है

कैसे सहूं मैं ये सब यारों
मुझको तुम बतलाओ
आज नहीं तो कल होगी वो मेरी
जब मेरा दिल ये जानत है

उसके दिल में क्या छुपा है
ये तो बस वो ही जानत है
है लाख टके का प्रश्न ये
क्या मुझको अपना मानत है

हूं उधेड़ बुन में फंसा हुआ मैं
कैसे बाहर निकलूंगा
जानबूझ कर जब वो मुझको
हर पल यूं ही सतावत है

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