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28 Mar 2023 · 1 min read

बौराये-से फूल /

लगे फुनगियों
पर,वसंत के
बौराये-से फूल ।

चटकी कलियाँ
आर्द्र लताएँ,
हिमपातों की
करुण कथाएँ,

लिए साथ में
कुरित बदरिया,
वर्षा,आँधी,धूल ।

कटन-पूर्व ही
सौंसर खेती,
रमण नदारद
नीरस-रेती,

भटक,जवानी
जीवन-पथ से
करे भूल पर भूल ।

डरी टहनियाँ,
सहमे पत्ते,
मौसम के खा-
खा कर गच्चे,

क्षुब्ध नदी है,
तेज़ लहर है,
घबराए हैं कूल ।

लगे फुनगियों
पर,वसंत के
बौराये-से फूल ।
०००
— ईश्वर दयाल गोस्वामी
छिरारी (रहली),सागर
मध्यप्रदेश – 470227
मो. – 8463884927

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