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18 Jun 2016 · 1 min read

नए वर्ष की नई उमंग

2015 के नव वर्ष की शुभ बेला पर लिखी एक कविता

नए वर्ष की नई उमंग में
भर लो मन को नई तरंग में
होत संयोग जब उमंग-तरंग का
अानंद से सबका मन भरता
मन का साज मुखरित हो उठता
सुन मधुर विकंपन मधुमय मन का
थिरकन उठते पैर धरा पर
सुन संगीत अानंद लहरों का!

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