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15 Mar 2023 · 1 min read

एक सरल मन लिए, प्रेम के द्वार हम।

एक सरल मन लिए, प्रेम के द्वार हम।
कुछ अधूरे वचन, सौंपकर आ गए।।

कि राह में छोड़कर, तुम चले तो गए,
रास्ता पर हमें, पूर्ण करना तो था,
जिसके जीवन का कोई न आधार था,
उसकी जीवन कहानी बनानी तो थी।

इस तरह प्रेम को, ढूंढकर खो गए।
स्वप्न को छोड़कर, लौटकर आ गए।।

एक सरल मन लिए, प्रेम के द्वार हम।
कुछ अधूरे वचन, सौंपकर आ गए।।

जिंदगी के लिए हम जिए जा रहे,
पर हथेली में जीवन की रेखा न थी,
रात को बेचकर स्वप्न ढोते रहे,
इस तरह शून्य जीवन को जीते रहे।

भाग्य रेखा हथेली में बन जाएगी,
शून्य जीवन में गर फिर से तुम आ गए।

अभिषेक सोनी
(एम०एससी०, बी०एड०)
ललितपर, उत्तर–प्रदेश

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 180 Views

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