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1 Mar 2023 · 1 min read

मीठी-मीठी माँ / (नवगीत)

घी-शक्कर के
कट्टू जैसी
मीठी-मीठी माँ ।

पौ फटने के
पहले उठती,
चूल्हे पर
रोटी-सी सिकती ।

मैले बासन पर
कूची-सी
घिसती-घिसती माँ ।

मुन्ना-मुन्नी को
नहलाती,
बड़े चाव से
टिफिन लगाती ।

पापड़ की
कोमलता जैसी
तीखी-तीखी माँ ।

भीतर रोती
बाहर हँसती,
फूलों-सी
काँटों में खिलती ।

सिलबट्टे पर
चटनी जैसी
घिसती-घिसती माँ ।

उलझी बातों
को सुलझाती,
रोज़ प्यार का
दीप जलाती ।

संन्यासी के
जीवन जैसी
सुलझी-सुलझी माँ ।

घी-शक्कर के
कट्टू जैसी
मीठी-मीठी माँ ।
०००
— ईश्वर दयाल गोस्वामी
छिरारी (रहली),सागर
मध्यप्रदेश ।
मो.- 8463884927

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