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18 Feb 2023 · 1 min read

"बेताबियाँ"

“बेताबियाँ”
सीने में आग सी दहक तो रहने दो,
बेताब तमन्नाओं की कसक तो रहने दो।
हक में मेरे दुआ करो चन्द खुशियों की,
चाहत में सिकन्दर सी ठसक तो रहने दो।
ऐतबार क्या कि मिले चाँद भी कभी,
मंजिल पाने की कसक तो रहने दो।
हवाओं की आवारगी से कह दो ऐ किशन,
इस जिगर में एक तड़प तो रहने दो।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति

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