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16 Feb 2023 · 1 min read

"माटी से मित्रता"

“माटी से मित्रता”

मेरा बचपन जिस गली की धूल-माटी में खेला
भुला नहीं पाऊंगा उसे किसी बुलंदियों की छाँव में,
जिन्दगी की शाम जहाँ भी हो मेरी
पार्थिव काया को दफ़्न कर देना मेरे गाँव में…।

– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति

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